मैं मनोज कुमार नागपुर (महाराष्ट्र) का रहने वाला हूँ,मामीकीचूतचुदवानेकीप्यास मेरी उम्र 26 साल की है।सांवला रंग 5 फुट 8 इंच का लम्बा और हट्टा-कट्टा नौजवान हूँ।मैं बहुत चुदक्कड़ मिजाज का हूँ इसी कारण अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक भी हूँ।आज मैं आपको अपनी सच्ची कहानी लिख रहा हूँ। मुझे उम्मीद है कि आपको जरूर पसंद आएगी।मेरे मामा हैं जो मुझे बहुत प्यार करते हैं, वो जलगांव में एक स्पेयर पार्ट की दुकान चलाते हैं।उनकी पत्नी यानि मेरी मामी.. जिनका नाम इंदु है.. वो एक जबरदस्त हुस्न की मल्लिका हैं। अभी उनकी उम्र तीस साल है।उनका 30-26-32 साइज का फिगर है एकदम दूध से गोरे गाल.. गुलाबी होंठ.. ऐसा लगता है कि जैसे कोई अप्सरा धरती पर उतर आई हो।मैं जब भी मामी को देखता तो मेरा लंड खड़ा हो जाता और मुठ मारने के लिए मुझे मजबूर होना पड़ता था।बात उन दिनों की है.. जब मैं 20 साल का था, उन दिनों मैं अपने मामा के घर गया था।मैं रात के वक्त उनके घर पहुँचा.. तो मामा घर पर ही थे, मामा और मामी बहुत खुश हुए।मामी ने मुझे प्यार से बैठाया और कहा- मनोज, आप फ्रेश होकर आओ मैं खाना लगाती हूँ।मैं फ्रेश होकर आया।हम सबने साथ खाना खाया और ऐसे ही घर की बातें करने लगे।मामा और मामी अपने बेडरूम में जाकर सो गए.. मैं हॉल में सो गया।अगले दिन 9 बजे जब मैं जागा.. उस वक्त तक मामा दुकान जा चुके थे, मामी नहाकर साड़ी पहन रही थीं।मैं मामी को देख रहा था.. मेरा लण्ड बहुत उत्तेजित होकर खड़ा हो गया। मुझे ऐसा लग रहा था कि अभी मामी की गाण्ड में घुसेड़ दूँ.. पर मैंने थोड़ा कंट्रोल किया।मैंने मामी से कहा- मुझे नहाना है।मामी ने कहा- तुम नहा लो.. तब तक मैं चाय बनाती हूँ।मैं नहाकर तौलिया लपेट कर आया। मामी चाय बनाकर लाईं.. उस वक्त मामी ने साड़ी तो पहनी हुई थी.. पर जल्दबाजी के कारण या कुछ और वजह से ब्लाउज नहीं पहना हुआ था।सिर्फ़ ब्रा में मामी के स्तन देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया।मैं सिर्फ निक्कर पहने हुए था। मामी ने मेरा खड़ा आइटम देख लिया और आँख मारते हुए चाय देकर मामी किचन में चली गईं।मैंने सोचा कि अब मामी को चोदना ही है। चाय के बाद मैं मामी के पास गया।मामी ने फिर से आँख मारते हुए कहा- क्या खाओगे?मैंने मामी से कहा- आपको।मामी हँसकर बोलीं- तुम्हारे मामा से तो मैं खाई नहीं जाती.. तुम क्या खाओगे?मैंने कहा- मामी मामा को छोड़ो।मामी ने कहा- चलो छोड़ दिया.. अगर तुमसे कुछ नहीं हुआ तो?मैंने कहा- जो बोलोगी.. वो।मामी बोलीं- चलो ठीक है.. आज आपकी हुई मामी।मैंने मामी को पीछे से अपनी बांहों में लिया और उनके स्तनों को मसलने लगा और होंठों से मामी की गर्दन पर चूमने लगा।अब मामी धीरे-धीरे गर्म हो रही थीं।मैंने हाथ से मामी की साड़ी निकाल दी। मामी ने पलट कर मेरे मुँह में मुँह डालकर किस लेना शुरू कर दिया।मैंने पीछे से उनकी ब्रा के हुक खोल दिए।मामी ने कहा- जरा आराम से.. आज मामी तुम्हारी ही है।मैं मामी को लेकर बेडरूम में चला गया और मामी को बिस्तर पर लिटा दिया। मैं खुद भी उनके बगल में लेट गया और मामी के निप्पल मुँह से चूसने लगा।मामी की सांसें तेज हो रही थीं।दस मिनट बाद मैंने मामी के पेटीकोट को निकाल फेंका और मामी पैन्टी निकाल दी।अब मामी की चूत मेरे सामने थी।जैसे ही मैं चूत चाटने के लिए हुआ.. मामी ने मना कर दिया।मैंने मामी से पूछा- क्या हुआ?मामी ने कहा- पहले तुम बिस्तर पर लेटो। आज मेरी चूत चुदने को बेकरार है।मैं लेट गया तो मामी ने मेरी निक्कर निकाल दी और 69 की पोज में मेरे ऊपर आ गईं।उनकी चूत में जीभ डालकर मैं चाटने लगा, मामी मेरा लंड चूसने लगीं।कुछ मिनट बाद मामी ने कहा- अब चोदो.. और मेरी प्यास बुझा दो मनोज.. मैं बहुत दिनों से सोच रही थी कि न जाने कौन मुझे जम कर चोदेगा.. अच्छा हुआ कि तुम आ गए मेरे जानू।अब मैंने मामी को घोड़ी बनने को कहा.. तो मामी घोड़ी बन गईं।मैंने मामी के पीछे खड़ा होकर मामी की चूत पर लंड रखकर, एक झटके में पूरा लण्ड चूत में घुसेड़ दिया और धीरे-धीरे धक्के मारने लगा।मामी ने गरम होते हुए कहा- जोर से चोद ना साले..मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया।कुछ देर बाद मैंने अपना लंड निकाल लिया और मामी से कहा- अब क्या आप मुझे चोदोगी?मामी ने कहा- हाँ जरूर..मैं बिस्तर पर लेट गया और मामी मेरे ऊपर चढ़ गईं। चूत में लौड़ा पिरोने के बाद उन्होंने मुझे जोर-जोर से चोदना चालू कर दिया।कुछ ही देर उछल-कूद के बाद मामी उतर गईं और कहने लगीं- अब जल्दी जल्दी करो.. मेरी चूत भड़क गई है।मैंने मामी को लेटाकर दोनों टाँगें ऊपर कीं और लण्ड को चूत में पूरा डाल दिया और धकापेल चोदने लगा। मैं जोर-जोर से धक्के मारने लगा।कुछ ही धक्कों के बाद मामी झड़ने वाली हो गई थीं, वो चुदास में चिल्लाते हुए कह रही थीं- जोर से कर साले..मैंने और जोर से चालू किया.. तो उनके मुँह से आवाज निकलनी चालू हो गई ‘आअ.. इस्स्स्स्स्.. आह.. आऐईऊ..’वो मेरा खुल कर साथ देने लगीं.. नीचे से धक्के देती जा रही थीं।दस-बारह झटकों में वो झड़ गईं।अब मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और थोड़ी देर में मैंने भी अपना सारा माल मामी की चूत में डाल दिया और मामी के ऊपर ही ढेर हो गया।कुछ पल बाद मामी ने कहा- कितने दिनों की प्य़ास बुझ गई.. मजा आ गया।यह कहानी एकदम सच्ची है.. और आपके मेल आने के बाद आगे की कहानी में मैंने मामी की गांड कैसे मारी.. जरूर लिखूंगा।[email protected]