रिजर्व बैंक ने सरकार को इस बार सात साल में सबसे कम सरप्लस ट्रांसफर किया!

पूर्व वित्त सचिव एस.सी. गर्ग का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस बार यानी साल 2019-20 के लिएअपनी सरप्लस राशि यानी अधिशेष आय का केवल 44 फीसदी ही केंद्र को ट्रांसफरकिया है.उन्होंने कहा कि फीसदी के हिसाब से यह पिछले सात साल में सबसे कम है.गौरतलब है कि आरबीआई बोर्ड ने लेखा वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) के लिये केंद्र सरकार को 57,रिजर्वबैंकनेसरकारकोइसबारसातसालमेंसबसेकमसरप्लसट्रांसफरकिया128 करोड़ रुपये ट्रांसफरकरने को मंजूरी इसी माह दी है.रिजर्व बैंक द्वारा सरकार को दिये जाने वाले सरप्लस राशि को लेकर काफी चर्चा होती रहती है. साल 2019 में जब रिजर्व बैंक ने सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये की भारी राशि सरकार को दी थी तो विपक्ष ने इसकी काफी आलोचना की थी. आरबीआई और वित्त मंत्रालय के बीच सरप्लस राशि के ट्रांसफर और आर्थिक पूंजी रूपरेखा (ईसीएफ) को लेकर जब विवाद हुआ था तो उस समय गर्ग ही वित्त सचिव थे.इसे भी पढ़ें: आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड ने अगस्त 2019 में सरकार को 1,76,051 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने को मंजूरी दी थी. इसमें 2018-19 का 1,23,414 करोड़ रुपये सरप्लस तथा 52,637 करोड़ रुपये संशोधित आर्थिक पूंजी नियम के तहत अतिरिक्त पायी गयी राशि सरकार को दी गयी.गर्ग ने ट्विटर पर लिखा है, ‘आरबीआई को 2019-20 में 1,49,700 करोड़ रुपये की बचत हुई. उसने अपने पास 73,600 करोड़ रुपये रखा, जबकि सरकार को 57,100 रुपये (केवल 44 फीसदी) ट्रांसफर किये. यह पिछले सात साल में सबसे कम ट्रांसफर है और आरबीआई ने सर्वाधिक राशि अपने पास रखी.इसे भी पढ़ें: न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आरबीआई बोर्ड की 19 नवंबर, 2018 को हुई बैठक में इस बात पर विचार के लिये समिति गठित का निर्णय किया गया कि आखिर केंद्रीय बैंक के लिये आरक्षित पूंजी कितनी होनी चाहिए और उसे सरकार को कितना लाभांश देना चाहिए. केंद्रीय बैंक ने आरबीआई के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में 26 दिसंबर, 2018 को छह सदस्यीय समिति गठित की. समिति ने अगस्त 2019 में अपनी रिपोर्ट दी.
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