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क्या UP में सुनील बंसल के ट्रैक रिकॉर्ड को बरकरार रख पाएंगे धर्मपाल? तीन महीने में ही पहली 'अग्नि परीक्षा'

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简介उत्तर प्रदेश में बीजेपी को लगातार चार चुनाव जीतने वाले महामंत्री संगठन सुनील बंसल को पदोन्नत कर पार् ...

उत्तर प्रदेश में बीजेपी को लगातार चार चुनाव जीतने वाले महामंत्री संगठन सुनील बंसल को पदोन्नत कर पार्टी का राष्ट्रीय महामंत्री नियुक्त कर दिया गया है. उन्हें पश्चिम बंगाल,क्याUPमेंसुनीलबंसलकेट्रैकरिकॉर्डकोबरकराररखपाएंगेधर्मपालतीनमहीनेमेंहीपहलीअग्निपरीक्षा तेलंगाना और उड़ीसा का प्रभार सौंपा गया है. सुनील बंसल की जगह धर्मपाल सिंह को उत्तर प्रदेश में बीजेपी महामंत्री संगठन नियुक्त किया गया है. अब धर्मपाल को अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश में रणनीतिक कौशल दिखाना होगा. ऐसे में उनकी असल परीक्षा भले ही 2024 में होगी, लेकिन उससे पहले इसी साल होने वाले निकाय चुनाव में उनका लिट्मस टेस्ट हो जाएगा?सुनील बंसल ने यूपी महामंत्री संगठन का जिम्मा ऐसे समय में संभाला था जब बीजेपी सूबे में सत्ता का सियासी वनवास झेल रही थी. महज उसके 9 सांसद और 51 विधायक थे. अमित शाह के सहयोगी बनकर आए सुनील बंसल ने सूबे की सियासी फिजा बदल दी और उत्तर प्रदेश के रणभूमि में सपा-बसपा जैसे क्षेत्रीय दलों सियासी वर्चस्व को पूरी तरह से तोड़कर रख दिया.बीजेपी 'मोदी लहर' के सहारे लंबे अरसे बाद 2014 के चुनाव में 80 में 71 लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रही और दो सीटें उसके सहयोगी को मिली. इसके बाद बीजेपी का फिर चुनाव-दर-चुनाव विजय रथ दौड़ा तो उस पथरीली राह पर सुगम रास्ता बनते चले गए. विपक्षी दलों का कोई भी सियासी प्रयोग बीजेपी को रोक नहीं सका. 2014-2019 के लोकसभा चुनाव और 2017-2022 के विधानसभा चुनाव बीजेपी जीतने में सफल रही. बीजेपी के इस जीत में महामंत्री संगठन के तौर पर सुनील बंसल की भूमिका अहम रही है.वहीं, अब लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले उत्तर प्रदेश के संगठन में फेरबदल करते हुए बीजेपी नेतृत्व ने लंबी सफल पारी खेल चुके सुनील बंसल के स्थान पर धर्मपाल सिंह को प्रदेश महामंत्री संगठन का जिम्मा सौंपा है. बंसल ने सूबे में जीत का रिकार्ड जो कायम किया है, उसे धर्मपाल को सिर्फ बरकरार ही नहीं बल्कि उसे आगे ले जाने की चुनौती है.बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में 50 फीसदी से अधिक वोट हासिल करने और क्लीन स्वीप यानि 75 प्लस सीटों पर जीत का लक्ष्य रखा है. ऐसे में धर्मपाल सिंह के सामने 2024 के लोकसभा चुनाव की चुनौती तो है लेकिन मजबूत पक्ष यह है कि वह इस प्रदेश को अच्छी तरह से जानते और समझते हैं. इसकी वजह यह है कि वो मूल रूप से पश्चिमी यूपी के बिजनौर के रहने वाले हैं और संगठन के कई दायित्व निभा चुके हैं.सुनील बंसल की तरह धर्मपाल सिंह भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के जरिए बीजेपी में आए. धर्मपाल उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के संयुक्त क्षेत्रीय संगठन मंत्री का पद संभाल चुके थे. उत्तराखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, ब्रज और पूर्वी उप्र के संगठन मंत्री रह चुके हैं. इसके बाद 2017 में झारखंड के प्रदेश महामंत्री संगठन बनाकर उन्हें भेजा गया, जहां पर 2019 का लोकसभा चुनाव जीतने में सफल रहे, लेकिन विधानसभा चुनाव में सफलता नहीं दिला सके.बिहार विधानसभा चुनाव 2020, असम विधानसभा चुनाव 2021 और 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी धर्मपाल सिंह को चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. यूपी में अब उन्हें पूरी तरह से महामंत्री संगठन की जिम्मेदारी सौंप दी गई है. यह जिम्मा ऐसे समय मिला है जब निकाय चुनाव को महज तीन महीने बचे हैं. बीजेपी 2017 में सूबे के 17 में से 15 नगर निगम में अपना मेयर बनाने में कामयाब रही थी.धर्मपाल सिंह के लिए भले ही सबसे बड़ा टारगेट 2024 को लोकसभा चुनाव हो, लेकिन उससे पहले स्थानीय निकाय चुनाव में उन्हें अपना राजनीतिक कौशल दिखाना होगा. प्रदेश की लगभग 22 फीसदी से अधिक आबादी इन शहरी क्षेत्रों में रहती है और बीजेपी की पकड़ इन्हीं मतदाताओं के बीच मजबूत रही है. ऐसे में उन्हें बीजेपी के सबसे मजबूत दुर्ग को बचाए ही नहीं बल्कि क्लीन स्वीप करने की रणनीति के साथउतरना होगा.बता दें कि मौजूदा समय में यूपी में कुल 734 नगरीय स्थानीय निकायें हैं, जिनमें 17 नगर निगम, 200 नगर पालिका परिषद एवं 517 नगर पंचायत हैं. बीजेपी 2017 में निकाय चुनाव में सपा, बसपा और कांग्रेस का सफाया कर दिया था. नगर निगम के चुनाव में बीजेपी ने 15 मेयर बनाने में कामयाब रही थी जबकि दो नगर निगम पर बसपा ने कब्जा जमाया था. कांग्रेस और सपा का खाता नहीं खुला था.हालांकि, नगर पालिका और नगर पंचायत में कुछ सीटें सपा जीतने में कामयाब रही थी. इस बार नगर निगम चुनाव के लिए सपा ने पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है. सपा ने सभी नगर निगमों पर अपने विधायकों-सांसदों को पर्यवेक्षक के तौर पर नियुक्त किया है. इतना ही नहीं सीटें के सियासी समीकरण का भी पूरा ख्याल रखा है. कांग्रेस और बसपा ने भी नगर निगम चुनाव की तैयारी में जुटी हैं.बीजेपी के महामंत्री संगठन के तौर पर धर्मपाल सिंह के सामने निकाय चुनाव में सबसे बड़ी परीक्षा होनी है. बीजेपी के लिए 2024 चुनाव से पहले निकाय चुनाव एक तरह का लिट्मस टेस्ट होगा, क्योंकि निकाय चुनाव के नतीजे से ही सूबे के सियासी मिजाज का अंदाजा लग सकेगा. इसके अलावा बीजेपी का लक्ष्य 2024 के चुनाव में यूपी में क्लीन स्वीप करने का है, जिसके लिए 50 फीसदी से अधिक वोट और 75 प्लस सीटें जीतने का टारगेट रखा है. 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की पुख्ता तैयारियों के लिए उत्तर प्रदेश में अभी दो से तीन और महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे. अगले लोकसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर ही बुधवार को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को स्वतंत्र देव की जगह विधान परिषद में नेता सदन बनाया गया है. इसके बाद यूपी बीजेपी अध्यक्ष का भी फैसला होना है. ऐसे में धर्मपाल सिंह के सामने यूपी में बीजेपी के जीत के सिलसिले को बरकरार रखने की चुनौती होगी?

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