चुदाई की भूखी लौंडिया की मस्त दास्तान-1
चुदाई पसंद सभी महिलाओं एंड पुरुषों को मेरा नमस्कार!मैंने हजारों सेक्सी कहानियां पढ़ी हैं।भारत में एक स्थान से छपने वाली सेक्सी हिंदी पत्रिकाओं में 1980 और 1990 के दशक में सैकड़ों कहानियां लिखी भी हैं।अब लिखने की इच्छा तो होती है और 50 साल की उम्र भी है तो अनेक अनुभव भी हैं।लेकिन पैसे और समय के अभाव में लिखना नहीं हो पाता।मैं वेबसाइटों पर दर्जनों कहानियां पढ़ चुका हूँ.. उसमें बड़ी अति होती है,चुदाईकीभूखीलौंडियाकीमस्तदास्तान लिखने वाले लंबी-लंबी हाँकते हैं, उसमें झूठ ज्यादा होता है।सेक्स मेरा प्रिय विषय है।मैंने अनेक चूतें मारी हैं और बहुतों से चुदाई पर बातें की हैं।मैंने फ्री में दर्जनों चूतें मारी हैं और वेश्याओं को भी पेला है।उनके वेश्या बनने की जानकारियां भी जुटाई हैं।मुझसे कोई सेक्सी बातें करना चाहे या किसी भी उम्र की महिला दिल की बातें करना पसंद करे तो मुझे ईमेल पर लिख सकता है।पिछले साल दिल्ली में बस में सफर करते हुए एक लौंडिया से बातचीत हो गई।मुझे वह चालू लगी।मैं उसे बातों में लगाए रहा और उतर कर उसे कोल्ड ड्रिंक पिलाते हुए बात करता रहा।उसे चोदने की इच्छा हो रही थी।शाम लगभग चार बजे का समय था और उसे कहीं जाने की जल्दी नहीं हो रही थी।कुल मिलाकर यह कि वह पट गई थी।मैं चूंकि पत्रकार हूँ.. इसलिए उसे सुरक्षा का अहसास हुआ और वह महज पांच सौ रुपए में चूत देने को तैयार हो गई।मैं उसे एक होटल में लेकर गया।बहाना बनाया कि यह मेरी भतीजी है और कल सुबह इसका नौकरी का इंटरव्यू है।कुल मिलाकर वह चुदाई की बहुत शौकीन निकली।उम्र तो उसकी अभी 26 साल ही थी लेकिन बड़ी चिकनी, स्वस्थ और गोरी थी।आंखों के घेरे जरा काले थे। वे शायद रातों को जागने से हुए होंगे।उसका शरीर अब भी भरा-पूरा, जांघें डबल रोटी की तरह मुलायम-मोटी, चूत ऊपर को उभरी हुई, चूत के टाइट होंठ थे।वो कुल मिला कर मुझे बड़ी आकर्षक लगी। हाँ, उसके चूतड़ जरा भारी हो गए थे, वह इसलिए कि कम से कम डेढ़ साल से वह लगातार ठुक रही थी।उसने बताया कि अंदाजन उसे 90 से 100 तक लोग ठोक चुके थे।मैंने भी उसे रात में चार बार चोदा। मुझे एड्स-वैड्स की चिंता नहीं है। अगर चूत देखने में अच्छी और चूतवाली स्वस्थ है तो मैं चूत चाट-चूस लेता हूँ। उसकी चूत बड़ी रसीली और नमकीन थी।उसने भी न सिर्फ मेरे चोदने की तारीफ की.. बल्कि चूत चूसने के लिए ‘धन्यवाद’ भी कहा।उसका कहना था कि अधिकतर लोग एड्स वगैरह के डर से चूत नहीं चूसते।कई लोग चोदने के लिए लण्ड घुसाते हैं और चार-छह, दस-बीस धक्कों में झड़ जाते हैं।इनमें से कई तो बाद में बार-बार अच्छी चुदाई करते हैं.. कई का लौड़ा फिर खड़ा ही नहीं होता, फिर वे शर्म से कोशिश भी नहीं करते।वो कहती रही कि कई लोगों को मैंने प्रोत्साहित करके काम चलाया है। लेकिन कई तो बिल्कुल बेदम हो जाते हैं।ऐसे में फिर मैं किसी वेटर से काम चलाती हूँ कि क्योंकि एक बार लण्ड डालकर खुजली पैदा कर दी जाए और वह खुजली खत्म न की जाए.. तो बड़ी बेचैनी होती है। लगता है जैसे चूत में चींटियां काट रही हों।ऐसे में कोई विकल्प जरूरी हो जाता है।मैं इस चुदाई की बात विस्तार से नहीं करूँगा। मेरे पास समय की कमी है, बल्कि आधी रात तक उसकी जिंदगी से जुड़ी जो बातें हुईं.. उनमें से उसकी एक महत्वपूर्ण चुदाई की बात यहाँ लिख रहा हूँ।उसने अपना नाम हेमा बताया था।वह उस वक्त फ्रीलांस कॉलगर्ल थी। वह एक पहाड़न थी।हेमा की एक शाम की मस्त चुदाई की कहानी, उसी की जुबानी सुनिए।वो एक दो मंजिला मकान था। दो कमरे नीचे, दो ऊपर थे, पापा 100 किमी दूर रहकर सर्विस करते थे और शनिवार रात को आते थे और सोमवार भोर में चले जाते थे।भैया की शादी हुए तीन महीने हुए थे, वह प्राइवेट जॉब करते थे।रात को भाभी के साथ ऊपर रहते थे।भाभी आमतौर पर दिन में भी ऊपर ही रहती थीं, उन्हें टीवी देखने का बहुत शौक था।मैं माँ के साथ नीचे रहती थी।माँ एक भैंस पाले हुए थीं, उसके लिए वह दोपहर के बाद खेतों में घास लेने जाती थीं।कई बार मुझे घास लेने जाना पड़ता।भैस होने के कारण घर का दूध, दही घी आदि था, तो मेरी सेहत अच्छी और जवानी रसभरी हो गई थी।मेरी पहली चुदाई अचानक और जबरदस्ती गन्ने के खेत में हुई थी लेकिन वह पुरानी बात हो गई। हालांकि उसके बाद मैं कई लोगों से काफी चुदी और मुझे चुदने की लत लग गई लेकिन अच्छी और नियमित चुदाई की कोई व्यवस्था नहीं थी।मैं यहाँ उस चुदाई की बात बता रही हूँ.. जब मुझे पहली बार सबसे ज्यादा मजा आया।मैं एक सेहतमंद नौजवान के शानदार लण्ड से खूब अच्छी तरह चुदी, ऐसी चुदी कि उससे पहले और बाद की तमाम खराब, बहुत शानदार और बंपर चुदाइयों के बाद भी यह एक चुदाई कभी नहीं भूलती हूँ।हुआ यह कि एक दिन शाम को भाभी का भैया सुरेश आ गया।स्वस्थ, सुंदर और तगड़ा।मैं उसे देखते ही सिर्फ चुदवाने के लिए उस पर मोहित हो गई।मुझे चुदवाने का बहुत शौक था।भाभी का भाई कुंवारा था, चूत की जरूरत उसे भी होगी ही.. ऐसा मैंने सोचा।मैं इधर कई दिनों से चुदी नहीं थी, लौड़े के लिए बुरी तरह तरस रही थी।कभी तो मुझे चोदने को कोई जुगाड़ नहीं मिलता था और जुगाड़ मिलता भी था तो मौका नहीं मिलता।लण्ड के चक्कर में रात को नींद नहीं आती थी, मैं प्वाइंट फाइव की नींद की गोली खाकर सोती थी।इससे पहले मेरे पास गर्भ-निरोधक गोली रहती ही थी, जब कभी चुदवाने का मौका मिलता.. तब पहले गोली खा लेती थी।भाभी के भाई से चुदवाने का विचार आया, लेकिन समझ नहीं आया उससे कब और कहाँ चुदूँ।मैंने उसे नहाने के लिए तौलिया, साबुन, भैया की लुंगी और बनियान दी, बाद में चाय-नाश्ता कराया।तमाम बातें होती रहीं।मैं, वह.. भाभी और माँ।कुछ देर बाद माँ और भाभी का बाजार जाना तय हो गया, वे दोनों रिक्शे से चली गईं।अब मेरे पास दो घंटे का समय था। मैं सोचने लगी कि सुरेश मुझे बांहों में भर ले और मुझे चोद दे।लेकिन मैं पहल कैसे करूँ, ये समझ नहीं आ रहा था।मैं पढ़ने बैठ गई, मेरे मन में उससे चुदवाने का ख्याल कि यह चोद दे तो मेरा जीवन सफल हो जाए।वह भी पास आ गया, हम हँस-हँस कर दुनिया तमाम की बातें करने लगे।वह बिस्तर पर सरक-सरक कर मेरे एकदम करीब आ गया।मैंने कुर्ती के दो बटन उसके लिए पहले ही खोल दिए थे.. ताकि वह चूचियों की झलक देखे और आकर्षित हो जाए।जब वह मेरे से बिल्कुल सट गया, तो मैंने उसे दोनों हाथों से धक्का देते हुए कहा- परे हटो.. क्या ऊपर ही चढ़ोगे?‘ऊपर चढ़ोगे’ से मेरा आशय दूसरा भी था, आप समझ ही गए होंगे।वह भी शायद समझ गया था कि थोड़ी हिम्मत से काम लिया तो यह लौंडिया चुदवा लेगी।वह बोला- तुम तो गुड़िया जैसी हो, गोद में बिठाना चाहता हूँ।मैंने भी नाटक किया और वह पैर लटका कर बैठा था, मैंने झट गाण्ड उसकी जांघों पर रख दी।बोली- लो बैठ गई.. अब क्या करोगे.. गोद में बिठाकर?उसने कुर्ती के ऊपर से चूचियों को हल्के पकड़ लिया, बोला- यार करूँगा क्या.. बस जैसे बच्चे से खेलकर मनोरंजन करते हैं.. वैसा ही कुछ कर लूँगा।उसका कड़क लण्ड मेरी गाण्ड पर चुभ रहा था।मैं उठी और बोली- बाप रे.. तुम्हारा तो लण्ड तो एकदम खड़ा है।वह मेरे मुँह से ‘लण्ड’ सुनकर बोला- ऐसा माल देख कर खड़ा हुए बिना रह सकता है भला।मैंने सोचा कि हेमा रानी लौंडा तैयार हो गया है.. अब इसे चूत देने में देर मत कर।मैंने पूछा- चूत मारने की इच्छा है क्या?बोला- दे दो.. तो आजीवन आभारी रहूँगा। जब कहोगी, तब हर तरह से काम आऊँगा।मैंने उठकर कुंडी मारी। मैंने तकिए के खोल से निकालकर गर्भ-निरोधक टेबलेट ली। जग में पानी रखा था।वह हैरानी से देख रहा था, मैंने गोली गटक ली।बिस्तर पर एक तौलिया बिछाया, तेजी से नाड़ा खोलते हुए झट से लेटते हुए बोली- माँ, भाभी दो घंटे बाद आएंगी, कर लो.. जो करना है।फिर मैंने सलवार नीचे सरकाई, कुर्ती गले से ऊपर तक कर दी और कहा- आ जाओ।मेरी नंगी चूचियां और चूत देख वह एक बार हैरान रह गया।मैंने आँख मार कर उसे अपने ऊपर आने का इशारा किया।वह लपक कर आ गया।उसने मेरे होंठ चूसे.. चूचियां दबाईं.. फिर चूत पर आ गया।इस काम में एक मिनट भी नहीं लगा होगा।मैंने कहा- थूक लगाकर लौड़ा जल्दी अन्दर डाल दो।उसने चूत देखी, कहा- बहुत शानदार चूत है।इस समय मेरा उत्तेजना से बुरा हाल था.. उसे भी जल्दी थी ही।मैंने टाँगें फैलाकर चूत पूरी तरह खोल रखी थी।उसने लण्ड पर थूक लगाया, उसके बाद चूत पर उंगली से अन्दर तक घिसा और मुस्कराकर कहा- बड़ी मस्त और गरम चूत है और टाइट भी है।खैर.. फिर उसने लौड़ा चूत के होंठों में फंसाया.. मेरी और मुस्कराया।मैंने आँख मार कर हरी झंडी दिखा दी।मैं तो चुदने के लिए मरी जा रही थी, सोच रही थी माँ के आने से पहले चोद दे.. तो मजा आ जाए।अगले भाग में आप जानेंगे कि चुदाई का क्या हुआ।आपके ईमेल का स्वागत है.. जरूर भेजिएगा।[email protected]कहानी जारी है।